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दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये

svgFebruary 25, 2023Articleseditor


“पुराने साथियों को सताते रहिये,
प्रेम और क्रोध भी जताते रहिये।
कभी हाले दिल ही बताते रहिये,
कभी अपनी खबर सुनाते रहिये।
छठे छमाही समय निकाल कर,
दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये।

कभी अपने घर की देहरी लांघ,
दोस्तों के चक्कर लगाते रहिये।
अपने छोटे दरबे के बाहर झांक,
साथ में सुख दुःख सुनाते रहिये।
जब मन अनमना सा महसूस करे,
दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये।

कभी रखके हाथ उनके कंधों पर,
दोस्ती का अहसास कराते रहिये।
हरदम औपचारिकता में न जियें,
बिना मतलब भी बतियाते रहिये।
जब करने को कोई काम न सूझे,
दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये।

टूटे दिलों को आस दिलाते रहिये।
किस्मत के रूठों को हंसाते रहिये।
जीवन से मायूस हो चुके दिलों में,
आशाओं के दीपक जलाते रहिये।
जब दिल्लगी करने का मन करे,
दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये।

ऐसा न हो कि मन में पछताते रहें,
वक्त को भी मुट्ठी में फंसाते रहिये।
मिले जब भी तुमको खाली समय,
प्रियजनों को गले से लगाते रहिये।
करने को कुछ भी न सूझ रहा हो,
दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये।”

— Kumar Gaurav Agarwal (KG) 98

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